स्वार्थी मित्र Two Friends And The Bear Story
Two Friends And The Bear Story: मोहन और राम बहुत ही घनिष्ठ मित्र थे। एक बार उन्हें किसी कार्य से दूसरे गांव जाना था। वह सुबह सुबह ही अपने घर से निकल पड़े। दूसरे गांव के रास्ते में एक जंगल पड़ता था। जब वह दोनों जंगल से गुजर रहे थे तभी उनको सामने से एक भालू आता हुआ दिखाई दिया। राम और मोहन दोनों ही बहुत बुरी तरह से डर गए।
उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए। मोहन पेड़ पर चढ़ना जानता था इसलिए वह भागकर एक ऊंचे से वृक्ष पर तेजी से चढ़ गया। राम को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था, उसे समझ में ही नहीं आया कि अब क्या किया जाए? थोड़ा सोचने के बाद उसे अपने दादाजी की कहीं एक बात याद आई। जब वह छोटा था तो उसके दादा जी ने बताया था कि भालू कभी भी किसी मृत व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
राम ने अपना दिमाग लगाया और उसने भागने के बजाय वही सांस रोककर लेटना ठीक समझा। भालू राम के पास आया कुछ देर तक उसे सूंघता रहा, उसके चारों तरफ चक्कर लगाता रहा। राम बिना हिले चुपचाप वही सांस रोककर मृत व्यक्ति की तरह लेटा रहा। थोड़ी देर के बाद भालू को ऐसा महसूस हुआ की राम के भीतर जान नहीं है इसलिए वह वहां से चुपचाप चला गया।
मोहन ऊपर पेड़ बैठे-बैठे सब सब कुछ देख रहा था। इस विपत्ति के समय उसने राम का साथ बिल्कुल भी नहीं दिया। भालू के जाने के बाद राम चुपचाप खड़ा हुआ और दूसरे गांव की तरफ चलने लग गया । तभी मोहन ने उसे पीछे से आवाज़ दी और कहा रुको मैं भी आ रहा हूं। तब राम में बहुत ही शांति से मोहन को बोला “मित्र ही हमेशा विपत्ति के समय काम आता है लेकिन जब मेरे ऊपर विपत्ति आई तब तुम अपनी जान बचाकर भाग गए और मुझे यहां मरने के लिए छोड़ दिया। ऐसे दोस्त का क्या फायदा जो मुसीबत के समय मित्र का साथ ही ना दें।” ऐसा कहकर राम ने मोहन के साथ अपनी मित्रता समाप्त कर दी और आगे बढ़ गया।
सीख Moral of the Two Friends And The Bear Story:
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि मुसीबत के समय मित्र का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
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