राजवैद्य की दुष्टता Rajvaidya And Crow Story
Rajvaidya And Crow Story: एक समय की बात है, शिव सिंह नाम का एक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में हाथियों में एक भीषण बीमारी फैल गई थी। उस बीमारी की वजह से हाथी लगातार मरते जा रहे थे। सभी तरह के इलाज करने के बाद भी कोई सफलता नहीं मिल पा रही थी तब राजा ने राजवैद्य को आमंत्रण भेजा और हाथियों का इलाज करने के लिए कहा।
जब राज-वैद्य अपने घर से महल की ओर आ रहा था तब वह चलते-चलते काफी थक गया था। इसलिए एक पेड़ की छांव के नीचे आराम करने लग गया। जब मैं आराम से सो रहा था, तभी पेड़ पर बैठे कव्वे ने राजवैद्य के ऊपर बीट कर दी। राज-वैद्य को कमरों के ऊपर काफी क्रोध आया। उसने निश्चय कर लिया कि वह इन कौओं को अच्छे से सबक सिखाएगा।
फिर राजवैद्य सीधे महल पहुंचा और उसने राजा को बताया कि यदि कौओं की चर्बी से हाथियों पर लेप किया जाए तो वह ठीक हो जाएंगे। राज-वैद्य की बात मानकर राजा ने सभी कौओं को मारने का आदेश दे दिया और उनकी चर्बी से हाथियों पर लेप करने के लिए कहा।
सभी सैनिकों ने राज्य के सभी कौओं को चुन-चुन कर मारना शुरू कर दिया। सभी कव्वे बहुत ज्यादा डर गए। तब कौओं के सरदार ने राजा से बात करने का निर्णय लिया। वह राजा शिव सिंह के पास गया और उसने कहा महाराज किसी ने आपसे गलत बोला है कि कौओं की चर्बी लगाने से हाथी ठीक हो जाएंगे क्योंकि कौओं में तो चर्बी होती ही नहीं है।
यह बात सुनते ही राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह समझ गया कि राज-वैद्य ने उसे बेवकूफ बनाया है। राजा शिव सिंह ने सैनिकों को आदेश दिया कि वह राज-वैद्य को पकड़कर कारावास में डाल दें।
शिक्षा Moral of Rajvaidya And Crow Story in Hindi
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि दुष्टता का परिणाम हमेशा खराब ही होता है।
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