Origin of Panchatantra Stories राजा अमरशक्ति और पंडित विष्णु शर्मा
Origin of Panchatantra Stories राजा अमरशक्ति और पंडित विष्णु शर्मा: हेलो मित्रों कैसे हैं आप लोग? आमतौर पर हमने आप पंचतंत्र की कहानियों खूब पढ़ा है पर, हम में से ज्यादातर को यह मालूम नहीं है कि आखिर पंचतंत्र की कहानियां शुरू कहां से हुई थी? आज मैं पंचतंत्र के आरंभ की कहानी सुनाने आप लोगों को आया हूं। तो बिना समय व्यर्थ किए हम कहानी शुरू करते हैं:-
आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व दक्षिण भारत में महिलारोप्य नामक नगर में अमरशक्ति नामक एक राजा राज्य करता था। उस राजा के 3 पुत्र थे एक का नाम बहुशक्ति था, दूसरे का नाम उग्रशक्ति था और तीसरे का नाम अनंतशक्ति था।
राजा अमरशक्ति काफी उदार समझदार और नेक राजा थे। लेकिन उनके तीनों ही पुत्र निपट मूर्ख थे। अमरशक्ति ने काफी प्रयास किए कि उनके तीनों पुत्र थोड़ा पढ़ लिख जाए लेकिन उन तीनों का पढ़ाई लिखाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। राजा का पुत्र होने के कारण गुरुजन उनसे शक्ति भी नहीं बरत पाते थे। परिणाम यह हुआ कि वह तीनों पुत्र मूर्ख ही रह गए।
राजा को अपने पुत्र इतना चिंतित देखकर उनके मंत्री सुमति ने उन्हें एक उपाय सुझाया। उन्होंने राजा को सलाह दी कि एक विष्णु शर्मा नाम के काफी योग्य शिक्षक हैं। आप अपने तीनों पुत्रों को उन्हीं के पास भेज दीजिए। मेरा ऐसा विश्वास है कि यह तीनों वहां पर अवश्य ही शिक्षित हो जाएंगे।
राजा अमरशक्ति ने अपने मंत्री की बात मानकर उन्हें आचार्य विष्णु शर्मा को बुलावा भेजा।
राजा के बुलावे पर आचार्य विष्णु शर्मा दरबार में आए और उन्होंने राजा अमरशक्ति से बुलावे का कारण पूछा। राजा अमरशक्ति ने याचना भाव से पंडित विष्णु शर्मा से कहा कि – “मेरे तीनों पुत्र अशिक्षित हैं और काफी प्रयास करने के बाद भी कोई भी उन्हें शिक्षित नहीं कर पाया है। यदि आप मेरे पुत्रों को शिक्षित कर देते हैं तो मैं आपको वचन देता हूं कि मैं आपको 100 गावों का स्वामित्व दे दूंगा।”
यह सुनकर पंडित विष्णु शर्मा ने उत्तर दिया कि – “हे राजा अमरमणि बच्चों को शिक्षित करना मेरा दायित्व है, इसके लिए मुझे अतिरिक्त भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है। मैं आपके पुत्रों को आधे वर्ष में ही शिक्षित करने का वचन देता हूं और इसके बदले में मुझे 100 गावों का स्वामित्व भी नहीं चाहिए।”
हालांकि राजा को पंडित विष्णु शर्मा की बात पर यकीन नहीं हुआ लेकिन उनके पास कोई और विकल्प भी नहीं था। अतः उन्होंने पंडित विष्णु शर्मा के पास अपने तीनों मूर्ख पुत्रों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेज दिया।
पंडित विष्णु शर्मा राजा के तीनों पुत्रों के विषय में भली-भांति जानते थे। उन्हें यह पता था कि शिक्षा के परंपरागत तरीकों से उनके पुत्रों को नहीं पढ़ाया जा सकता है। पंडित जी ने निर्णय किया कि वह राधा के पुत्रों को रोचक तरीके से पढ़ाएंगे। उन्होंने उन मूर्ख राजकुमारों को पढ़ाने के लिए कुछ नई कहानियों की रचना की जिसके पात्र पशु और पक्षी होते थे।
पंडित विष्णु शर्मा ने इन पशु पक्षियों की कहानियों का सहारा लेकर राजकुमारों को नीति शास्त्र की शिक्षा देना आरंभ कर दिया। राजकुमारों पर यह नया पढ़ाने का तरीका काम कर गया और वह तीनों रुचि लेकर कहानियों के माध्यम से नीतिशास्त्र को समझने लग गए, और शीघ्र ही उन्होंने सभी नीतियों को समझने में सफलता प्राप्त कर ली।
पंडित विष्णु शर्मा ने जिन कहानियों के माध्यम से राजा अमरशक्ति के तीनों मूर्ख पुत्रों को शिक्षित किया था उन्हें कहानियों के संग्रह को आज पंचतंत्र की कहानियां के नाम से जाना जाता है।
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