Motivational Story In Hindi – मेंढको की टोली
(Short Motivational Story In Hindi)
Motivational Story In Hindi – मेंढको की टोली: हेलो दोस्तों कैसे हैं आप लोग? जब यह कहानी पहली बार मैंने पढ़ी थी तो काफी बुझे मन से पड़ी थी मुझे ऐसा लग रहा था कि हिंदी का जो एक मुहावरा है कुएं के मेंढक, यह कहानी भी कुछ वही होगी। लेकिन इस कहानी के अंत ने मुझे काफी चौका दिया। यह कुछ ऐसा था जो नहीं सोच सकता था और यह बहुत ही अच्छा एहसास था। उम्मीद है आप भी यह मोटिवेशनल कहानी जरूर पढ़ेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं-
जैसा की आप सभी को पता है कि बरसात आते ही हर तरफ मेंढक ही मेंढक हो जाते हैं। ऐसे ही किसी समय पर बरसात का मौसम आया और हर तरफ मेंढक ही मेंढक हो गए। ऐसे ही किसी समय एक मेंढको की टोली नदी की तरफ जा रही थी। अचानक उस टोली के दो मेंढक एक गड्ढे में गिर गए।
सभी मेंढको ने चारों ओर से शोर मचाना शुरू कर दिया। वह सब कहने लगे “गड्ढा बहुत गहरा है तुम लोग बाहर नहीं निकल पाओगे वहीं रहो, वहीं रहो।”
पर ऐसा नहीं है कि मेंढको ने प्रयास नहीं किया दोनों मेंढक अपनी पूरी शक्ति लगाकर उछल रहे थे और गड्ढे से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे थे। कुछ ही समय में उन 2 मेंढको में से एक मेंढक ने हार मान ली और चुपचाप बैठ गया। उसने घोषणा कर दी कि एवं गड्ढे के बाहर निकलना हमारे बस की बात ही नहीं है।
वहीं दूसरा मेंढक लगातार प्रयास करता ही रहा। वह नहीं रुका। जब गड्ढे के ऊपर चारों तरफ मेंढको ने देखा एक मेंढक हार मानकर बैठ चुका है लेकिन दूसरा मेंढक अब भी लगातार बाहर निकलने का प्रयास ही करे जा रहा है, तो उन्होंने फिर से चिल्लाना शुरू किया – “कूदना व्यर्थ है, मत कूदो। तुम चाहे जो भी कर लो इस गड्ढे से बाहर नहीं निकल सकते। वहीं बैठे रहो और अपने अंतिम समय में ईश्वर का ध्यान करो।”
लेकिन इसके विपरीत दूसरा मेंढक रुकने को तैयार ही नहीं हुआ। मैं लगातार कूदता रहा और कूदता ही रहा। अब इसे चमत्कार कहें या उस मेंढक अथक प्रयास कुछ देर बाद वह मेंढक गड्ढे के बाहर आने में सफलता पा चुका था।
गड्ढे के ऊपर के सभी मेंढको ने उसे कंधे पर उठाकर उसके नाम का उद्घोष करने लगे। लेकिन कुछ ही समय में उन्हें उसे ऊपर आए मेंढक का व्यवहार अजीब लगा। बातचीत के दौरान पता लगा कि वह मेंढक बहरा था। उस मेंढक को ऐसा लगा कि जब वह गड्ढे में था तब जो मेंढक ऊपर थे वह बाहर निकलने के लिए उसका उत्साहवर्धन कर रहे हैं।
और ऐसे उत्साहवर्धन से उसके अंदर अतिरिक्त शक्ति आ गई थी जिससे वह बाहर निकल पाया। वहीं दूसरी तरफ दूसरा मेंढक जो अभी गड्ढे में ही था वह नकारात्मक बातें सुनकर पहले ही हार मान चुका था। उसने बाहर निकलने का प्रयास करना भी बंद कर दिया था।
Moral of the Motivational Story In Hindi – मेंढको की टोली Story
हम जो भी बोलते हैं उसका दूसरों पर काफी प्रभाव पड़ता है तो जब भी बोले सकारात्मक ही बोले। स्वयं पर विश्वास कभी नहीं होना चाहिए और सफलता मिलने तक प्रयास करने बंद नहीं करने चाहिए। वैसे तो मेडक बहरा होने की वजह से नहीं सुन पाया था लेकिन अपने वास्तविक जीवन में हमें नकारात्मक बातें अनसुनी कर देनी चाहिए।
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