Lok Kathaye Worship of Dhuma
Lok Kathaye Worship of Dhuma : बहुत समय पहले की बात है। देवगिरि पर्वत के समीप एक ब्राह्मण परिवार रहता था । ब्राह्मण की पत्नी का नाम था ललिता। यूँ तो परिवार खुशहाल था किंतु घर में संतान न थी। ।
विवाह के कई वर्ष बाद ललिता ने अपनी छोटी बहन धुम्मा से अपने ब्राह्मण पति का विवाह करवा दिया। धुम्मा ने एक पुत्र को जन्म दिया।
धुम्मा और ललिता के लाड-प्यार में बालक बढने लगा। कुछ समय बाद ललिता को लगने लगा कि ब्राह्मण केवल अपने पुत्र से प्यार करता है। वह उसी को अपना सारा धन देगा।। बस उसी दिन से वह धुम्मा के पुत्र मोहन से जलने लगी।।
इधर धुम्मा इन बातों से अनजान थी। वह शिव-भक्त थी। दिन में चार-पाँच घंटे वह पूजा में बिताती थी। मोहन बड़ा हुआ तो एक सुंदर कन्या से विवाह कर दिया गया। इधर, धुम्मा का पूजा-पाठ और भी बढ़ गया।
ललिता को एक दिन अपनी जलन मिटाने का अवसर मिल ही गया। मोहन नदी पर नहाने गया था। वह लौटा तो ललिता रोते-रोते बोली
‘तुम्हारी पत्नी कुएँ में गिर गई।’
मोहन ने ज्यों ही कुएँ में झाँका तो ललिता ने उसे धक्का दे दिया। उसके बाद मैं घर वापस आ गई। धुम्मा पूजा का प्रसाद बाँटने गई तो कुएँ पर भीड लगी हुई थी। ईश्वर कि कृपया से मोहन बच गया था।।
जब वह अपनी मां के साथ घर में गुस्सा तो ललिता उसे देखकर चौंक गई। ललिता ने उसे मारने की योजना बनाई। रात को उसने दाल और चावल के जहरीले घोल से स्वादिष्ट डोसे बनाए। फिर बहुत प्यार से बोली-‘मोहन बेटा, मैंने यह यह तुम्हारे लिए बनाया है, आकर खा लो।’
मोहन भी बड़ी माँ की भावना जान गया था। उसने अपने स्थान पर कुत्ते को रसोई में भेज दिया। ललिता की पीठ मुड़ते ही कुत्ता डोसा उठाकर चंपत हो गया, खाते ही उसने दम तोड़ दिया।
ललिता की सारी चालें नाकाम रही। तब उसने गुस्से में आकर मोहन के सर पर पर मसल से वार किया। मोहन का सिर बुरी तरह घायल हो गया और वह बेहोश हो गया।
धुम्मा अपने पूजा के कमरे में थी। शिव जी से ललिता की क्रूरता देखी न गई। वह प्रकट हुए और उसे शाप देने लगे।
धुम्मा सब कुछ जान गई थी। फिर भी उसने शिव जी से बहन के प्राणों की भीख मांगी। शिव जी उसके दयाल स्वभाव और करुणा से अत्यधिक प्रसन्न हुए और बोले
“धुम्मा, तुम जैसे व्यक्तियों से ही संसार में धर्म जीवित है। तुम्हारा पुत्र भी भला-चंगा हो जाएगा। मैं ललिता को भी क्षमा करता हूँ। तुम्हारी अखंड भक्ति के कारण से यह स्थान धुम्मेश्वर कहलाएगा।’
इसके पश्चात् शिव जी ओझल हो गए। मोहन भी यूँ उठ बैठा मानो नींद से हो। ललिता के मन का मैल धुल चुका था। पूरा परिवार पुनः खुशी-खुशी रहने लगा।
बच्चों, मानव का मानव से सच्चा प्रेम ही ईश्वर-भक्ति है। तुम उसके बनाए प्राणियों में प्रेम करो, वह तुम्हें अपनाएगा।
शिक्षा Conclusion of Lok Kathaye Worship of Dhuma
मानव का मानव से सच्चा प्रेम ही ईश्वर-भक्ति है। तुम उसके बनाए प्राणियों में प्रेम करो, वह तुम्हें अपनाएगा।
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